Protests erupt outside Kasba Police station as 3 arrested in alleged Kolkata college gang rape
वायु सेना के हेलीकॉप्टरों ने प्रभावित क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोगों को हवाई मार्ग से निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है।
नई दिल्ली। वायनाड भूस्खलन के तीसरे दिन गुरुवार को प्रभावित लोगों को सुरक्षित बचाने के लिए सेना ने रातों-रात 100 फीट लंबा पुल बनाकर जनता के लिए खोल दिया है। इससे बचाव कार्यों में और मदद मिलेगी और फंसे हुए लोगों को जल्दी से जल्दी निकाला जा सकेगा। इसके अलावा कई और छोटे-छोटे पुल बनाए जाने की तैयारी है। सेना ने आज सुबह तक 100 से ज़्यादा शव बरामद किए हैं, जबकि मरने वालों की संख्या इससे कहीं ज्यादा है। वायु सेना के हेलीकॉप्टरों ने प्रभावित क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोगों को हवाई मार्ग से निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है।
पैरा रेजिमेंटल ट्रेनिंग सेंटर के कमांडेंट ब्रिगेडियर अर्जुन सेगन ने बताया कि आज बचाव और खोज अभियान का तीसरा दिन है। हमने रातभर में एक फुटब्रिज बनाया और हमें उम्मीद है कि हम आज दोपहर तक 24 टन वजन श्रेणी के बेली ब्रिज का काम पूरा कर लेंगे। हमारे इंजीनियर रातभर काम पर लगे रहे। हमने कल 5 अर्थ मूविंग उपकरण भेजे थे और आज भी हमने कई अर्थ मूविंग उपकरण भेजे हैं। इससे हमारा खोज अभियान बहुत आसान हो गया है। खराब मौसम, बढ़ते जलस्तर और रातभर काम करने की चुनौतियों का सामना करने के बावजूद दृढ़ता और अथक परिश्रम से मद्रास इंजीनियर्स ग्रुप (एमईजी) की टीम चूरलामलाई में रातों-रात 100 फीट लंबा एक पुल बनाया और जनता के लिए खोल दिया। इससे बचाव कार्यों में और मदद मिलेगी और फंसे हुए लोगों को जल्दी से जल्दी निकाला जा सकेगा।
सेना की पश्चिमी हिल बैरक ने कालीकट से प्रादेशिक सेना की 122 इन्फैंट्री बटालियन के सैनिकों ने गंभीर रूप से भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों से वेल्लारीमाला से अट्टामाला की ओर खोज और बचाव अभियान शुरू किया है। कर्नाटक और केरल सब एरिया के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल वीटी मैथ्यू ने वायनाड जिले के मैप्पडी गांव पहुंचकर बचाव अभियान की कमान संभाल ली है। उन्होंने केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और मुख्यमंत्री पी. विजयन से मुलाकात की और उन्हें चल रहे बचाव कार्यों के बारे में जानकारी दी। मेजर जनरल मैथ्यू ने बताया कि अट्टामाला, मुंडक्कई और चूरलमाला में भारतीय सेना की टुकड़ियां अन्य बचाव दलों के साथ समन्वय में काम कर रही हैं। आज सुबह तक हमने 100 से ज़्यादा शव बरामद किए हैं और कुल शवों की संख्या इससे कहीं ज़्यादा है। बरामद शव नागरिक प्रशासन को सौंप दिए हैं, जिन्हें आगे की कार्रवाई के लिए सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि हमने बहुत से उन लोगों को बचाया है, जिन्हें मदद की ज़रूरत थी, उनमें से लगभग सभी को बचा लिया गया है और अब हमें घरों में घुसकर देखना है कि कहीं लोग फंसे तो नहीं हैं, इसके लिए हमें भारी उपकरणों की ज़रूरत है। एक पुल का निर्माण आज रात 10 बजे तक पूरा होने के बाद हम भारी उपकरण साइट पर ला पाएंगे, जिसके बाद लोगों की तलाश शुरू होगी। हम दिन-रात पुल का निर्माण कर रहे हैं, यह आज पूरा होने जा रहा है। इससे यह खोज और बचाव अभियान की गति बढ़ जाएगी और हम अपने डॉग स्क्वायड का भी इस्तेमाल करेंगे। फिलहाल 500 से ज़्यादा सेना के जवान काम पर हैं।
केरल के वायनाड में हुए विनाशकारी भूस्खलन के बाद भारतीय वायुसेना ने एनडीआरएफ और राज्य प्रशासन जैसी अन्य एजेंसियों के साथ समन्वय करके बचाव और राहत अभियान चला रखा है। वायुसेना के परिवहन विमानों ने महत्वपूर्ण रसद आपूर्ति के साथ-साथ निकासी कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। परिवहन विमान सी-17 ने बचाव सहायता कार्यों के लिए बेली ब्रिज, डॉग स्क्वॉड, चिकित्सा सहायता और अन्य आवश्यक उपकरणों जैसी 53 मीट्रिक टन आवश्यक आपूर्ति का परिवहन किया है। इसके अतिरिक्त राहत सामग्री और कर्मियों को लाने-ले जाने के लिए एएन-32 और सी-130 का उपयोग किया जा रहा है। चुनौतीपूर्ण मौसम विमानों के उड़ान भरने में बाधा उत्पन्न कर रहा है लेकिन वायुसेना के इन विमानों ने बचाव दल और प्रभावितों को विस्थापित करने वाली टीम को आपदाग्रस्त क्षेत्र में पहुंचाया है।
वायुसेना के विंग कमांडर जयदीप सिंह ने बताया कि बचाव कार्य के लिए वायुसेना ने विभिन्न हेलीकॉप्टरों का एक बेड़ा तैनात किया है। एमआई-17 और ध्रुव एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएच) को एचएडीआर ऑपरेशन के लिए शामिल किया गया है। व्यापक रूप से खराब मौसम की स्थिति के बावजूद भारतीय वायुसेना के विमान 31 जुलाई की देर शाम तक फंसे हुए लोगों को निकटतम चिकित्सा सुविधाओं तथा सुरक्षित क्षेत्रों में पहुंचाने और आवश्यक सामानों की आपूर्ति करने में लगे हैं। बचाव अभियान के चलते इन हेलीकॉप्टरों ने प्रभावित क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोगों को हवाई मार्ग से निकाला है, जिससे उन्हें सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया जा सका है।